इसके पीछे एक कहानी बहुत प्रचलित है। एक बार माता पार्वती को स्नान के लिए जाना था परंतु पहरे पर कोई नहीं था। इसलिये उन्होंने अपनी मैल से गणेशजी की प्रतिमा बनाई और उसमें अपनी शक्तियों से प्राण डाले। इसके बाद उन्होंने गणेशजी को आज्ञा दी कि उनकी इजाजत के बिना कोई प्रवेश न करे। तब भगवान शिव आए और उन्होंने गणेशजी को हटने के लिए कहा। परंतु गणेशजी नहीं हटे और भगवान शिव द्वारा भेजे गए गणों और देवताओं का सामना करके उन्हें परास्त कर दिया। तब भगवान शिव ने क्रोध में गणेशजी का धड़ काट दिया। यह जानकर माता पार्वती ने पूरे ब्रह्माण्ड में हाहाकार मचा दिया। सभी देवताओं ने भगवान शिव की स्तुति की और गणेशजी को पुनः जीवित करने की प्रार्थना की। तब शिवजी ने गणेशजी को हाथी का मस्तक लगाकर जीवित किया।