अमेठी:06/02/2024
अमेठी जिले के पीपरपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत खाझा ग्राम सभा निवासी रंजीत पाल अपनी मां के साथ आज दोपहर में जनपद मुख्यालय गौरीगंज स्थित कलेक्ट्रेट पहुंचा जहां पर मां बेटे दोनों ने रोते हुए जिलाधिकारी को अवगत कराया की उनके द्वारा बनवाए गए सरकारी कॉलोनी को गांव के लोगों ने मिलकर पुलिस और राजस्व की मदद से जेसीबी द्वारा धराशाई कर दिया गया। जिस पर जिलाधिकारी महोदय ने मां बेटे दोनों को घर पहुंचने का निर्देश दिया और कहा कि तुम लोग घर पहुंचे एसडीएम अमेठी मौके पर पहुंचकर निरीक्षण कर जांच करेंगी। जब दोनों लोग अपने गांव पहुंचे तब शाम के समय अमेठी की एसडीएम प्रीति तिवारी राजस्व के साथ-साथ पुलिस टीम को लेकर पीड़ित के घर खाझा गांव पहुंची जहां पर उनके साथ पीपरपुर थानाध्यक्ष संदीप राय भी मौजूद थे। मौके पर मौजूद पीड़ित और उसकी मां ने बताया कि मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत उसको सरकार की धनराशि मिली थी जिससे उसने आवास का निर्माण करवाया। जब कॉलोनी बन रही थी तभी गांव के ही कुछ लोगों के द्वारा आपत्ति की गई थी तब मौके पर पहुंच कर लेखपाल वर्तमान प्रधान एवं पूर्व प्रधान ने जांच करते हुए जमीन चिन्हित किया था जिस पर उसने मकान बनवाया था। यह मकान अप्रैल 2023 में बनकर तैयार हो गया था इसके बाद पीड़ित कमाने के लिए परदेश चला गया। अभी वह परदेश में ही था तभी 1 फरवरी 2024 की दोपहर को अचानक पुलिस एवं राजस्व की टीम ने मौके पर पहुंचकर उसके सरकारी आवास पर जेसीबी चलाते हुए धराशाई कर दिया। इसकी सूचना जैसे ही लगी पीड़ित रंजीत पाल प्रदेश से अपने घर वापस आया और वह इस संबंध में एसडीएम अमेठी से मिला तो एसडीएम प्रीति तिवारी ने उसे भगा दिया। फिर वह और उसकी मां दोनों लोग जिले की नवागत जिलाधिकारी सुश्री निशा अनंत के पास पहुंचकर न्याय की भीख मांगने लगे। पीड़ित ने बताया कि उसे समय राजस्व की टीम के द्वारा जहां पर बताया गया था वहीं पर मेरे द्वारा मकान बनाया गया है फिर क्यों मेरे मकान को गिराया गया। इस पर अमेठी की एसडीएम प्रीति तिवारी ने बताया कि पीड़ित झूठ बोल रहा है। गांव में 50 मीटर के अंदर उसके 2 मकान और हैं। उसके द्वारा अवैध अतिक्रमण कर सरकारी जमीन पर यह तीसरा निर्माण कार्य किया गया था। जिसको नोटिस देने के बाद हटाया गया और सरकारी जमीन खाली कराई गई। जबकि वहीं पर पीड़ित का कहना है कि उसको किसी भी प्रकार की कोई नोटिस नहीं दी गई। अब इसमें सबसे बड़ी बात तो यह है कि यदि उसके पास पहले से ही 2 मकान मौजूद हैं तो उसे कैसे मुख्यमंत्री आवास योजना का पात्र बनाया गया और कैसे उसे आवास बनाने हेतु सरकारी धन और अवमुक्त किया गया। कहीं ना कहीं इसमें ग्राम प्रधान से लेकर ऊपर के अधिकारियों की मिली भगत दिखाई पड़ रही है। ऐसे ही अपात्र व्यक्तियों को मुख्यमंत्री आवास योजना एवं प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाता है और पात्र देखते ही रह जाते हैं। यह तो सरकारी धन के बंदर बांट की कहानी को उजागर करता है। अपात्र लोगों को आवास आवंटित कर देना और आवास बन जाने के बाद उसपर जेसीबी चलवा कर धराशाई करवा देना यह कहां का न्याय है?