राहुल पाठक
1. कौन सी स्त्री समय से पहले विधवा हो जाती है?
2. कौन सी स्त्री को जीवन में कभी सुख नहीं मिलता है?
3. कौन सी चीज पत्नी पति को मांगने पर भी नहीं देती है?
एक बार भगवान शिव कैलाश पर्वत पर बैठे थे तो माता पार्वती भगवान शिव से मिलने के लिए जाती हैं और कहने लगते हैं। प्रभु जब मैं आपसे मिलने के लिए आ रही थी तो मेरी नजर मृत्यु लोक पर पड़ी वहां मैं क्या देखा कि तीन स्त्रियां जो आपस में सहेली थी उनमें से दो स्त्रियों विधवा होकर की दुखी जीवन की रही थी। जबकि एक स्त्री सुहागिन होकर के अपने पति के साथ सुखी जीवन की रही थी। प्रभु यह बात मेरी समझ में नहीं आई इसलिए मैंने मन में तीन प्रश्न पूछने लगे अब मैं आपसे यह चाहती हूं कि आप मेरे तीनों प्रश्नों के उत्तर देकर मुझे संतुष्ट करने की कृपा करें। इस प्रकार माता पार्वती की बात को सुनकर के भगवान शिव कहते हैं पार्वती तुम मुझे अपने तीनों प्रश्न बताओ मैं तुम्हें तुम्हारे प्रश्नों के उत्तर देकर के पूरी तरह संतुष्ट करने का प्रयास करूंगा अब माता पार्वती रहती हैं प्रभु मेरा पहला प्रश्न है कौन सी स्त्री समय से पहले विधवा हो जाती है? मेरा दूसरा प्रश्न है कौन सी स्त्री को जीवन में कभी सुख नहीं मिलता और मेरा तीसरा प्रश्न है कौन सी चीज ऐसी है जो एक पत्नी अपने पति को मांगे से भी नहीं देती? इस प्रकार माता पार्वती के प्रश्न सुनकर के भगवान शिव कहने लगे पार्वती तुम जिन स्त्रियों की बात कर रही हो उनमें से दो स्त्रियों विधवा होकर अपना दुखी जीवन की रही हैं। और वहीं पर एक स्त्री सुहागन होकर के अपने पति के साथ में अपना सुखी जीवन की रही है। तुम जानना चाहती हो आखिरकार ऐसा क्यों है तो मैं तुम्हें एक छोटी सी कहानी सुनाता हूं इस कहानी को बहुत ही ध्यान से सुनना। आधी अधूरी कहानी सुनने वाले को आधा अधूरा ही ज्ञान प्राप्त होता है। जो जीवन कभी काम नहीं आता क्योंकि तुम्हारे 3 प्रश्नों के उत्तर एक छोटी सी कहानी में समाए हुए हैं इस कहानी को यदि तुमने ध्यान से सुना तो तुम्हारे तीनों प्रश्नों के उत्तर तुम्हें आवश्य मिलेंगे और तुम्हें संतुष्टि प्राप्त होगी। माता पार्वती कहती हैं प्रभु मैं आपकी बात से सहमत हूं आप कहां ने शुरु करो मैं कहानी को पूरे मन से सुनूंगी और जब तक आप कहानी बोलोगे तब तक मेरा मन दूसरे स्थान पर नहीं जाएगा। भगवान से कहते हैं पार्वती सबसे पहले मैं तुम्हें उस स्त्री की कहानी सुनाता हूं जो सुहागन बनकर के सुखी जीवन जी रही है। देखो जिस सुहागन स्त्री की तुम बात कर रही हो वह सुहागन स्त्री एक राजा के नौकर की पत्नी है और जिस नौकरी वह अपनी है उस नौकर को अपनी पत्नी पर पूरा विश्वास और भरोसा है। कि वह पतिव्रता है जिसकी महिमा वह अपने साथियों में बार-बार करता है अब देखो एक दिन की बात है उस राजा के नौकर ने अपनी पत्नी की प्रशंसा इतनी कि की बात धीरे-धीरे चलते हुए राजा दरबार तक पहुंच गई। से दूसरा जाने अपने नौकर को बुलवाया और उस नोखा से कहा कि तुम हर किसी से अभी पत्नी की प्रशंसा करते हो कि तुम्हारी पत्नी पतिव्रता है। क्या वास्तव में तुम्हारी पत्नी पतिव्रता है क्या तुम्हें पूर्ण विश्वास है भगवान से कहते हैं। पार्वती इस प्रकार राजा की बात सुनकर के नौकर कहने लगा महाराज मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी पत्नी पूरी तरह पतिव्रता है। अब उसी समय पर राजा काम आमंत्रित करें लगता है यदि मैं तेरी पत्नी को पति बतक धर्म खंडित कर दूं तो तुझे क्या सजा मिलनी चाहिए। तो नौका ने कहा यदि तुम मेरी पत्नी का पतिव्रता धर्म खंडित कर देते हो तो महाराज मुझे फांसी लगा देना। अब वह राजा का नौकर भी मंत्री से कहता है महाराज यह मेरी पत्नी का पतिव्रता धन खंडित नहीं कर पाए तो इनको सजा क्या मिली चाहिए तो राजा ने कहा मंत्री को भी फांसी की सजा दी जाएगी। भगवान शिव कहते हैं पार्वती इस प्रकार मंत्री ने स्वीकार कर लिया और नौकर से पूछा कि क्या वस्तु और जिससे तू माने कि मैं तेरी पत्नी का धर्म खंडित करने में सफल हुआ तो नौका ने कहा मंत्री यदि तुम मेरे घर जाकर मेरे विवाह के समय पर मुझे एक पटका मिला था और एक कटार मिला कि थी जो दूल्हे को देते हैं। वह मेरी पत्नी ने बहुत ही संभाल के रखी है जो सुहाग की निशानी मानी जाती है। यदि पटका और कटार लाकर तू मुझे दिखा दे तो मैं मान जाऊंगा कि मेरी पत्नी का धर्म तूने पूरी तरह नष्ट कर दिया है। अब भगवान शिव कहते हैं पार्वती शर्त स्वीकार हो जाने के बाद वह मंत्री शहर में जाता है और एक दुती से जाकर मिलता है वह दुती एक दूसरे से भीड़ने का काम करती थी। और जो काम कोई नहीं करता था उसे काम को करने में वह सक्षम थी फिर इस प्रकार उसे मंत्री ने उसे दुती को अपने स्वार्थ के लिए बुलाया और दुती से कहा देखो इस नाम का एक व्यक्ति है। उससे मेरी शर्त लगी है और फिर उसने उसे शर्त के बारे में उसे दुती को सारा कुछ बता दिया फिर वह उसे दुती से कहने लगा कि तू कैसे भी करके उसे स्त्री से मेरा संपर्क करवा दे। तुझे जितना धन चाहिए मैं उतना धन दूंगा भगवान सिर्फ कहते हैं पार्वती इस प्रकार मंत्री की बात सुनकर के दुती कहने लगी भाई तू उसे औरत के बारे में बात मत कर वह औरत पूरी तरह से पतिव्रता है कभी आ रहे हैं वह तेरी और देखेगी भी नहीं। तेरी शक्ल भी नहीं दिखेगी और उसके परिवार वाले भी खूंखार है तेरी खाल उतार लेंगे। तो मंत्री कहने लगा ठीक है यदि तू मेरा उसे संपर्क नहीं करवा सकती है तो एक काम कर दे उसके घर जाकर के पटका और कटार चुरा कर ला दे। और उसकी पत्नी के गुप्तांग के पास में यदि कोई चिह्न हो तो वह चिन्ह भी मुझे देखकर बता दे फिर मैं तुझे मुंह मांगा इनाम दूंगा। भगवान शिव कहते हैं पार्वती यह बात दुती की समझ में आ गई उसने कहा ठीक है मैं तुम्हारा काम अवश्य करूंगी। नौकर शहर में रहता था दुती नौकर के घर जाती है और उसकी पत्नी से जाकर बोलता है बेटी मैं तेरे पति की बुआ हूं मैं कई वर्षों बाद आई हूं तो उसे स्त्री ने कहा आओ बुआ जी मैंने आपको पहले कभी देखा नहीं इसलिए पहचान नहीं पाई। और इस प्रकार उस दुती को उसे नौकर की पतिव्रता स्त्री ने बहुत बड़ा सम्मान दिया मगर उसे क्या मालूम था कि या उसके साथ में चल करने आई है अब भगवान शिव कहते हैं पार्वती इस प्रकार वह दुती उसके पतिव्रता स्त्री के साथ में दो दिन तक रुकी। जिस समय वह स्त्री स्नान करने लगी तो दुती उठकर के उसे पतिव्रता स्त्री की कमर करने लगी उसे पतिव्रता स्त्री ने बहुत मन किया फिर भी वह दुती नहीं मानी और कहने लगी। मुझे तो बेटी से भी प्यारी लगती हो तुम मना मत करो काफी दिनों बाद में मेरी मुलाकात पहली बार हुई है अब ऐसा कहकर के वह दुती मुंह पर हाथ फेरने लगी फिर आंखों को धोने के बहाने से दुती ने उसे पतिव्रता स्त्री की आंखों में पानी मार दिया और उसे स्त्री की आंखें बंद हो गई। इस प्रकार गुप्तांग के पास जांघ पर उसे स्त्री के एक तिल था जो उसे ड्यूटी ने देख लिया बस उसका काम बन गया उधर स्नान करने के बाद जब वह पतिव्रता स्त्री रसोई में खाना बनाने गई तो दुती को मौका मिल गया और उसने पटका और कटार नौकर के घर से चुरा लिया और वहां से चुपके से भाग गई और जाकर के दुती ने वह पटका और कटार मंत्री को दे दिए और उसे पतिव्रता स्त्री के जांघ पर तिल के निशान भी बता दिए। भगवान शिव कहते हैं पार्वती फिर वह मंत्री पटका और कटार लेकर सीधा राजा के दरबार में पहुंचा और राजा से जाकर कहा महाराज मैं नौकर की पत्नी के पास में 2 दिन बीताये और यह पटका और कटार उसी के हाथों से लेकर आया हूं। फिर तो राजा ने दरबार लगाया और नौकर को बुलाया तथा महामंत्री से सभा में पटका और कटार नौकर को दिखाने के लिए कहा फिर राजा की आज्ञा पाकर मंत्री ने उसे नौकर को पटका और कटार दिखाई और उसकी पत्नी की जांच पर तिल भी बताया तो नौकर मान गया कि वास्तव में आज मेरी पत्नी ने अपना पतिव्रत धर्म पूरी तरह से भांग करवा लिया। भगवान शिव कहते हैं पार्वती फिर तो राजा ने फांसी का दिन 15 दिन के बाद रख दिया और कहा नौकर को 15 दिन के बाद फांसी पर चढ़ाया जाएगा। और इस प्रकार नौकर से उसकी अंतिम इच्छा पूछी तो नौकर ने कहा मैं अपनी पत्नी से अंतिम बार मिलना चाहता हूं। भगवान सिर्फ कहते हैं पार्वती इस प्रकार राजा ने उसे नौकर को आज्ञा दे दी की ठीक है तुम अपनी पत्नी से मिल सकते हो। फिर नौकर अपने घर गया और अपनी पत्नी से कहा कि तुमने मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा किया मैंने तुम्हें विश्वास पर मंत्री से ऐसी शर्त लगाई थी। की राजा के दरबार में राजा के सामने मैंने कहा था कि मेरी पत्नी का पति बात धर्म कोई नष्ट कर दे तो मुझे फांसी लगा देना आप मुझे 15 दिन के बाद फांसी लगा दी जाएगी। मेरे साथ विश्वास घात करके तुमने ठीक नहीं किया। भगवान शिव कहते हैं पार्वती उसे पतिव्रता स्त्री ने अपने नौकर पति को सारी बात बताई मगर उसे विश्वास नहीं हुआ और पुनः व राजा के दरबार में पहुंच गया फिर उसे कैद में डलवा दिया गया। अब उधर नौकर की पतिव्रता पत्नी ने परमात्मा को याद किया और राजा के दरबार में गई और राजा से नाच दिखाने की आज्ञा मांगी। भगवान शिव कहते हैं पार्वती उधर नौकर की पतिव्रता पत्नी ने परमात्मा को याद किया और अपना भेष बदलकर राजा के दरबार में गई और राजा से नाथ दिखाने की आज्ञा माननी लगी। क्योंकि वह स्त्री बहुत ही सुंदर थी और उधर राजा शौकीन थे इसलिए राजा ने आज्ञा दे दी की सभी मंत्री संत्री आदि उपस्थित होकर के इस सुंदरी का नाच करवाने की पूरी व्यवस्था करें। भगवान शिव कहते हैं पार्वती फिर तो सब मंत्री महामंत्री राजा आदि दरबार में उपस्थित हुए फिर उसे नौकर की पत्नी ने जब नाचना शुरू किया तो राजा को उसे स्त्री का नाच बहुत ही सुंदर लगा। फिर राजा ने कहा तुम मुझसे क्या मांगना चाहती हो तुम जो भी मांगेगा मैं तुम्हें वही दूंगा भगवान शिव कहते हैं। पार्वती फिर उसे नौकर के पतिव्रता स्त्री ने कहा महाराज आपकी सभा में मेरा चोर है जिसने मेरे रुपए लिए हैं मगर आज तक वापस नहीं दिए उसे फांसी की सजा दे दीजिए। आप राजा ने कहा ठीक है बताओ मेरे दरबार में तुम्हारा चोर कौन है उसका नाम क्या है मैं उसको फांसी की सजा अवश्य दूंगा। भगवान शिव कहते हैं पार्वती फिर उसे नौकर की पतिव्रता स्त्री ने कहा महाराज आपका मंत्री मेरा चोर है आप उसको फांसी की सजा दे दीजिए। अब उधर जैसे ही मंत्री ने सुना कि यह सुंदरी मुझे अपना कर बता रही है तो मंत्री कहने लगा कि महाराज मैं कसम खाकर कहता हूं कि मैं इसका कभी कुछ नहीं चुराया मैंने इसको कभी आज तक देखा ही नहीं तो मैं इसकी चोरी कैसे कर सकता हूं। मैंने आज तक इसकी शक्ल ही नहीं देखी है अब भगवान सिर्फ कहते हैं पार्वती जैसे ही मंत्री ने कहा कि मैं इस सुंदरी की शक्ल आज तक नहीं देखी है तो वह सुंदरी कहने लगी की महाराज यदि यह मंत्री मुझे जानता नहीं है तो आप इससे यह पूछिए कि यह पटका और कटार कहां से लाया था। मैं उसे नौकर की पत्नी हूं जो आपके यहां नौकरी करता है और आप मेरे निर्दोष पति को फांसी पर चढ़ने वाले हैं अब मैं आपको पूरी कहानी सुनाती हूं। यह जो आपका मंत्री है इसने मेरे पास में अपनी एक दुती को भेज कर मेरी जान के तिल का पता लगाया और उसने ही या पटका और कटार चुरा करके इसको लाकर दी। और आपके मंत्री के द्वारा भेजी गई दुती जब मेरे घर पर आई थी तो उसने मुझसे कहा था कि वह मेरे पति की हुआ है वह पहली बार आई थी इसलिए मैं उसकी पहचान ना सकी और महाराज इस प्रकार मैंने उसे स्त्री को अपने यहां बहुत बड़ा सम्मान दिया और अपने यहां पर ठहरने की व्यवस्था की। भगवान शिव कहते हैं पार्वती इस प्रकार उसे नौकर की पतिव्रता स्त्री की बात को सुनकर के राजा ने दुती को बुलाया फिर उसे दुती ने राजा को सारी सच्चाई बताई। फिर राजा ने उसे नौकर को छोड़ दिया और मंत्री को फांसी पर चढ़ा दिया। भगवान शिव कहते हैं पार्वती इस प्रकार उसे नौकर की पतिव्रता स्त्री ने अंत में राजा से कहा महाराज मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं। मैं एक चरित्रवान स्त्री हूं कभी भी अपने पति का नाम तक अपने मुंह से नहीं लेती हूं। अब भगवान शिव कहते हैं पार्वती मेरी कहानी पूरी हुई अब तुम अपने तीनों प्रश्नों के उत्तर सुनो तुम्हारा पहला प्रश्न था कौन सी स्त्री समय से पहले विधवा हो जाती है तो जो स्त्रियां अपने पति का नाम लेती है वह समय से पहले ही विधवा हो जाती हैं। क्योंकि पति का नाम लेने से पति की उम्र कम हो जाती है और समय से पहले ही उनके पति की मृत्यु हो जाती है। ऐसी स्त्रियां जो अपने पति का नाम लेती है वह समय से पहले ही विधवा होकर के एक दुखी जीवन जीती हैं। बस यही राज की बात है कि तुम जिन तीन सहेलियों की बात कर रही थी उनमें से दो विधवा थी और एक यह नौकर की पत्नी थी जो पतिव्रताएं स्त्री थी यह पतिव्रता कभी भी अपने पति का नाम कभी भी अपने मुंह से नहीं लेती थी। उधर वह दो स्त्रियों जो विधवा होकर की जीवन दुखी जी रही है वह हमेशा अपने पति का नाम लेकर ही बुलाती थी। जिसकी वजह से उनके प्रति की उम्र कम हुई और फिर वह दोनों स्त्रियां समय से पहले ही विधवा हो गई और आज वह दुखी जीवन की रही हैं। इसलिए कभी भी स्त्री को अपने पति का नाम अपने मुंह से नहीं लेना चाहिए। अब तुम्हारा दूसरा प्रश्न था कौन सी स्त्री को जीवन में कभी भी सुख नहीं मिलता तो समझ लो जो स्त्रियां अपने पति की बिना अनुमति के किसी तीर्थ आया उत्सव पर जाती हैं उनके जीवन कभी सुख नहीं आता। ऐसी स्त्रियां जीवन में दुखी रहती हैं और उन्हें पति का कभी प्रेम नहीं मिलता। अब भगवान शिव कहते हैं पार्वती तुम्हारा तीसरा प्रश्न था कि ऐसी कौन सी चीज है जो एक पत्नी अपने पति को मांगने से भी नहीं देती तो समझ लो वह चीज गाली है एक चरित्रवान स्त्री अपने पति को गाली नहीं दे सकती। जो स्त्री गाली देती है वह स्त्री कभी भी चरित्रवान नहीं होती और ऐसी स्त्री जीवन भर रोती है। उनके जीवन में कभी भी सुख की घड़ी नहीं आती है और समय से पहले ही ऐसी स्त्रियां विधवा हो जाती हैं। इस प्रकार भगवान शिव के मुंह से सुनकर माता पार्वती तीनों प्रश्नों से संतुष्ट होकर कहती हैं स्वामी वास्तव में जो स्त्री चरित्रवान होती है वह कभी दुखी जीवन नहीं जीती क्योंकि ऐसे घर में लक्ष्मी का सदा वास होता है। और वह घर धन-धान्य से हमेशा भरा रहता है ऐसी स्त्रियां हमेशा घर को स्वर्ग बना देती है।