राहुल पाठक
बवासीर या पाइल्स या (होमोरोइड पाइल्स या मूलव्याधि) एक भयानक रोग है। बवासीर 2 प्रकार की होती है। आम भाषा में इसको खूनी और बादी बवासीर के नाम से जाना जाता है। कहीं-कहीं इसे महेशी के नाम से जाना जाता है।
खूनी बवासीर:
खूनी बवासीर में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है केवल खून आता है।
बादी बवासीर:
बादी बवासीर रहने पर पेट खराब रहता है। कब्ज बना रहता है। गैस बनती है। बवासीर की वजह से पेट बराबर खराब रहता है न कि पेट गड़बड़ की वजह से बवासीर होती है। इसमें जलन, दर्द, खुजली, शरीर में बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है, जिसे अंग्रेजी में फिस्टुला कहते हैं। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर कैंसर का रूप ले लेता है। जिसको रेक्टम कैंसर कहते हैं। जो कि जानलेवा साबित होता है।
कुछ व्यक्तियों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी पाया जाता है। अतः आनुवांशिकता इस रोग का एक कारण हो सकता है। जिन व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटों खड़े रहना पड़ता हो, जैसे बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस, पोस्टमैन या जिन्हें भारी वजन उठाने पड़ते हों – जैसे कुली, मजदूर, भारोत्तलक वगैरह, उनमें इस बीमारी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है। कब्ज भी बवासीर को जन्म देती है। बवासीर गुदा के कैंसर की वजह से या मूत्र मार्ग में रूकावट की वजह से या गर्भावस्था में भी हो सकता है।
पाइल्स यानी बवासीर ऐसी बीमारी है, जो हर समय तक तकलीफ देती है। अगर ठीक से इलाज न किया जाए और इसे रोका न जाए तो ये ऐसा मर्ज बन सकता है जो मरीज को बेहद मुश्किल में डाल देगा। बवासीर के कई तरह के इलाज हैं। सड़क किनारे दीवारों पर या होर्डिंग पर अक्सर ऐसे स्लोगन लिखे दिख जाते हैं कि एक दिन में बवासीर से छुटकारा पायें या एक इंजेक्शन लगाते ही बवासीर से छुट्टी मिल जाएगी। ऐसे कई दावे किये जाते हैं, लेकिन क्या ये इतना आसान है? आखिर इसका इलाज क्या है। क्या दवाईयां खाकर इससे छुटकारा मिल सकता है, या फिर ऑपरेशन ही इलाह है। ऑपरेशन भी कराएं तो कैसा कराएं। क्या लेजर सर्जरी कराना भी ठीक रहेगा, ऐसे कई सवाल हैं जो पीड़ित के मन में चलते हैं।
बवासीर जब बेहद मुश्किल पैदा कर देता है तो इसके ऑपरेशन की सलाह दी जाती है। बवासीर दो तरह की होती हैं। एक में इंटरनल पाइल्स होती है, जबकि दूसरी एक्सटर्नल पाइल्स यानी मांस (मस्सा) का एक छोटा सा हिस्सा बाहर की ओर निकला होता है। कई लोग इसे ऑपरेशन के जरिये खत्म करना चाहते हैं। डॉक्टर्स भी इससे छुटकारा पाने के लिए ऐसी ही सलाह देते हैं। अब सवाल उठता है कि कौन सा ऑपरेशन कराया जाये। एक में डॉक्टर्स ओपन सर्जरी करते हैं और दूसरा तरीका है लेज़र सर्जरी है।
ओपन सर्जरी से भी बीमारी का इलाज हो जाता है, लेकिन ये प्रक्रिया थोड़ा जटिल और दर्द देने वाली साबित भी हो सकती है। हालाँकि इसमे खर्च कम आता है, लेकिन सर्जरी के बाद पूरी तरह से स्वस्थ होने में एक हफ्ते का समय लग सकता है।
बवासीर के लिए प्रचलित तमाम सर्जिकल प्रक्रियाओं में लेजर सर्जरी का महत्व बहुत तेजी से बढ़ रहा है। अब अधिकतर डॉक्टर बवासीर के उपचार के लिए लेजर सर्जरी की सलाह देते हैं।
बवासीर की लेजर सर्जरी कितनी सुरक्षित है?
लेजर विधि से उपचार के दौरान पिन पॉइंट लेजर बीम का उपयोग होता है। जिसके कारण अन्य सर्जिकल प्रक्रियाओं की तुलना में लेजर सर्जरी के दौरान गुदा क्षेत्र में कोई ब्लीडिंग नहीं होती है, अथवा ब्लीडिंग होती भी है तो नाम मात्र की होती है। क्योंकि लेजर डिवाइस से निकलने वाली किरणें बहुत पतली होती हैं जो मस्सों तक रक्त पहुंचा रही नसों को ब्लॉक करके बवासीर का उपचार करती हैं। पिन पॉइंट लेजर किरणों का उपयोग होने के कारण गुदा क्षेत्र में कोई कट नहीं होता है, जबकि ओपन सर्जरी से उपचार कराने पर मस्सों को निकालने के लिए गुदा क्षेत्र में एक बड़ा कट लगाया जाता है। कोई चीरा नहीं लगने से इन्फेक्शन होने की संभावना बहुत कम होती है। जबकि ओपन सर्जरी में इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक होता है।
बवासीर की लेजर सर्जरी में रिकवरी भी तेजी से होती है, अगर बात की जाए ओपन सर्जरी के बाद रिकवरी टाइम की तो रोगी को तकरीबन एक सप्ताह अस्पताल गुजारने पड़ सकते हैं। जबकि लेजर सर्जरी के बाद रोगी को 24 घंटे के भीतर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है साथ ही 48 घंटे बाद रोगी अपने जीवनशैली में शामिल सभी सामान्य काम कर सकता है।
क्यों करायें लेजर सर्जरी?
डॉ.की माने तो लेजर सर्जरी बवासीर का उपचार करने का सबसे अच्छा विकल्प है, क्योंकि एडवांस और सुरक्षित उपचार तकनीक होने के नाते उपचार में अधिक समय नहीं लगता है और रोगी को कोई जटिलता नहीं होती है। द एनो-रेक्टल क्लीनिक में आधुनिक लेजर विधि द्वारा बवासीर का इलाज किया जाता है।