गोंडा:31/01/2024
एलबीएस कॉलेज में तदर्थ शिक्षक के रूप में कार्यरत है दूल्हा
वधु पक्ष द्वारा दहेज की पेशकश को ठुकराया, पांच फल व अक्षत लेकर ही पूरी की तिलक की रस्म
गोंडा। वर्तमान समय में समाज जिन कुरीतियां को लेकर सबसे अधिक परेशान है, उसमें दहेज प्रथा सबसे बड़ी कुरीति के रूप में सामने आ रही है। दहेज को लेकर आए दिन विवाहिताओं को प्रताड़ित किए जाने की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे समय में शहर के गल्ला मंडी के निकट इमिलिया गुरुदयाल मोहल्ले के निवासी सत्य प्रकाश दुबे ने मिसाल कायम की है। 10 वर्ष पहले थल सेना की नौकरी से सेवानिवृत हुए श्री दुबे के एक पुत्र व एक पुत्री है। पुत्री की शादी पूर्व में ही हो चुकी है, जबकि पुत्र अभय दुबे श्री लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय में कंप्यूटर साइंस विभाग में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। सत्य प्रकाश दुबे से जब बहू पक्ष के रिश्तेदारों ने दहेज की पेशकश की तो उन्होंने साफ मना कर दिया। यहां तक की उन्होंने दहेज में पांच फल व पांच मुट्ठी अक्षत के अतिरिक्त 1रुपये की नगदी लेने से इनकार कर दिया। श्री दुबे ने अपने पक्ष के लोगों के पांव छुवाई की रस्म को भी मना कर दिया। परसपुर विकासखंड के बलमत्थर निवासी सत्य प्रकाश मिश्रा अपनी पुत्री प्रियांशु का विवाह उपरोक्त दुबे परिवार में अभय दुबे के साथ कर रहे हैं। सोमवार को इस रिश्ते के तहत तिलक समारोह बहराइच रोड स्थित श्री हरि मैरिज लॉन में संपन्न हुआ। बिना दहेज के हो रहे इस विवाह को लेकर दोनों पक्षों के नाथ रिश्तेदारों में भी काफी चर्चा रही। लोग इसके लिए सत्य प्रकाश दुबे की सराहना कर रहे हैं।
आगामी 12 फरवरी को होगा विवाह
बिना दहेज लिए संपन्न हो रहा यह विवाह समारोह आगामी 12 फरवरी को परसपुर स्थित एक मैरिज लाइन से संपन्न होगा।
11 रुपये में पूरी हुई दूध पिलाई रस्म
गोण्डा। समाज में मधु पक्ष द्वारा क की मां को नेक देकर के दूध पिलाई रसम पुरी की जाती है इसके लिए लड़की के पिता सत्य प्रकाश मिश्रा ने समधिन को ₹21000 देने की पेशकश की किंतु उनकी ओर से यह धनराशि सहर्ष वापस कर दी गई और उन्होंने मात्र इस रस्म के लिए ₹11 स्वीकार किया।
मैंने अपनी क्षमता के अनुरूप की थी दहेज देने की पेशकश: सत्यप्रकाश मिश्रा
गोण्डा। परसपुर के ग्राम पंचायत बलमत्थर निवासी लड़की के पिता सत्य प्रकाश मिश्रा का कहना है कि उनकी पुत्री एमएससी वनस्पति विज्ञान की पढ़ाई कर रही है। उसके विवाह के लिए जब वह सत्य प्रकाश दुबे जी से मिले तभी से वे दहेज न लेने को लेकर अडिग थे। मैंने अपनी क्षमता के अनुसार दिए जाने वाले दहेज को सहर्ष स्वीकार करने की काफी विनती की, लेकिन न तो उन्होंने नगदी लेने की हामी भरी और न ही लड़की को दहेज में दिये जाने वाले सामान को लेने की बात स्वीकार की। उन्होंने कहा कि हम समाज को दहेज मुक्त विवाह का एक संदेश देना चाहते हैं। आशा है कि और लोग भी ऐसे कार्य में मेरे साथ आएंगे।