माफिया विनोद उपाध्याय की इनसाइड स्टोरी:

माफिया विनोद उपाध्याय की इनसाइड स्टोरी:

5/1/2024

*सूद कारोबार में उतरा, छात्रों की गैंग बनाई;*

*PWD कांड से चर्चित होकर RMD के खिलाफ चुनाव लड़ा*

*गोरखपुर के माफिया विनोद उपाध्याय* को UP STF ने शुक्रवार को सुल्तानपुर में मुठभेड़ के बाद मार गिराया है।

विनोद का नाम *यूपी के टॉप-61* और *गोरखपुर के टॉप-10* माफियाओं की लिस्ट में शामिल था।

वो 7 महीनों से फरार चल रहा था।

पुलिस, क्राइम ब्रांच, STF उसकी तलाश में जुटी थी।

पुलिस ने उस पर इनाम की धनराशि 25 हजार से बढ़ाकर *एक लाख रुपए* भी कर दी थी।

माफिया के मारे जाने से पहले कभी उसके नेपाल में छिपे होने की बात सामने आई तो कभी बैंकाक यानी कि थाईलैंड जाने की बात भी सामने आई।

उसकी गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल से भी मदद लेने की भी बात कही गई थी।

इस बीच शुक्रवार को तड़के साढ़े तीन बजे STF और विनोद के बीच मुठभेड़ हो गई और क्रॉस फायरिंग में मारा गया।

*एनकाउंटर के डर से नहीं किया था सरेंडर*

एनकाउंटर से पहले गोरखपुर पुलिस विनोद को गिरफ्तार नहीं कर सकी लेकिन, पुलिस ने उसका साम्राज्य जरूर खत्म कर दिया था।जिसके कारण शिकायतकर्ता खुलकर सामने आने लगे थे और लगातार विनोद पर केस दर्ज हो रहे थे।जबकि, माफिया विनोद का भाई *संजय उपाध्याय* पहले ही सरेंडर करके जेल जा चुका था।पुलिस विनोद के कई गुर्गों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी थी।इस बीच विनोद ने भी कई बार सरेंडर करने की कोशिश की।लेकिन, सूत्रों के मुताबिक विनोद को खुद के एनकाउंटर में मारे जाने का डर था।जिसकी वजह से वह कोर्ट में जाकर सरेंडर करने की हिम्मत नहीं कर सका।

 *अब आइए जानते हैं, विनोद की माफियागिरी से राजनीति में एंट्री और उसके अंत तक की कहानी…*

*पिता के साथ सूद के कारोबार में उतरा था विनोद*

माफिया विनोद *मूल रुप अयोध्या के मुईया माया बाजार* का रहने वाला था।लेकिन, उसके पिता करीब 20 साल पहले परिवार के साथ गोरखपुर आकर बस गए।विनोद का पूरा परिवार यहां *गोरखनाथ इलाके के धर्मशाला बाजार* में रहने लगा।पिता *राजकुमार उपाध्याय* सूद के बड़े कारोबारी थे। ऐसे में विनोद समेत उसके दोनों छोटे भाई भी पिता के साथ सूद के कारोबार में उतर गए। लेकिन गोरखपुर के PWD कांड से विनोद चर्चा में आया। लेकिन, इसके बाद उसके अपराध का सिलसिला नहीं थमा और कई अपराधों में उसका नाम शामिल होता चला गया।

*2002 में की छात्र राजनीति की शुरूआत*

धर्मशाला बाजार शुरू से ही सूद के कारोबार के लिए गोरखपुर में ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में फेमस रहा है।ऐसे में यहां के अन्य सूद कारोबारियों से विनोद और उसके परिवार की अदावत हो गई।इसके बाद विनोद ने छात्र राजनीति में एंट्री ली।लेकिन, खुद चुनाव लड़ने की बजाय वो *गोरखपुर यूनिवर्सिटी* में अपने लोगों को चुनाव मैदान में उतारने लगा।2002 में गोरखपुर यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष के पद पर अपने एक साथी को लड़वाया। वह चुनाव जीत गया।यहां से विनोद की पहुंच राजनीति में बड़े-बड़े लोगों से हो गई। 2004 में फिर से एक प्रत्याशी उतारा, लेकिन *लिंगदोह समिति* के तय नियमों की वजह से वह चुनाव नहीं लड़ सका।लोग बताते हैं कि विनोद समर्थित प्रत्याशी की उम्र ज्यादा थी, इसलिए चुनाव नहीं लड़ सका।

*नए लड़कों के समर्थन से बना ली गैंग*

यूनिवर्सिटी से करीब 10 साल जुड़े रहने के कारण विनोद ने छात्रों की एक बड़ी गैंग बना ली।यह वह वक्त था, जब गोरखपुर में जातीय आधार पर गैंग हुआ करती थी।*हरिशंकर तिवारी* ब्राह्मणों के रॉबिनहुड थे और विनोद उनका खास चेला।हरिशंकर तिवारी के चेलो में *श्रीप्रकाश शुक्ला* भी था।1997 में ठाकुरों के नेता और महाराजगंज जिले के बाहुबली *वीरेंद्र प्रताप शाही* को श्रीप्रकाश ने लखनऊ में गोलियों से भून दिया था।

*हरिशकंर तिवारी ने रख दिया विनोद के सिर पर हाथ*

यह वह वक्त था, जब विनोद का नाम अपराध जगत में नहीं दर्ज था।लेकिन यह सब देखकर अपराध करने की हिम्मत आ गई।श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के बाद विनोद उपाध्याय, *सत्यव्रत राय* का खास हो गया।ये सत्यव्रत राय कभी श्रीप्रकाश को सलाह देने वाले बताया जाता था।दोनो साथ हुए तो अपराध में नाम आने लगा, 1999 में एक के बाद एक दो मुकदमा गोरखनाथ थाने में दर्ज हो गया।पहला धमकी से और दूसरा दलित के साथ मारपीट का मुकदमा दर्ज हुआ।कुछ सालों बाद पैसे के लेनदेन को लेकर सत्यव्रत से झगड़ा हो गया।यहां से दोनों दुश्मन हो गए।बाहुबली हरिशंकर तिवारी का हाथ विनोद के सिर पर था, इसलिए वह अपराध के बाद भी बच जाता था।

*बसपा के जरिए राजनीति में शुरुआत*

इसके बाद विनोद उपाध्याय ने अपनी राजनीति की शुरुआत बसपा से की।बसपा महासचिव *सतीश मिश्रा* से नजदीकी के कारण पार्टी ने विनोद को गोरखपुर का प्रभारी बना दिया।2007 में गोरखपुर सदर सीट से प्रत्याशी बनाया।*मायावती* खुद विनोद के समर्थन
में रैली करने गोरखपुर आईं, लेकिन जब नतीजे आए तो विनोद चौथे स्थान पर रहा।भाजपा के *डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल* लगातार दूसरी बार सदर सीट से विधायक बन गए।

*गुंडई की तो बसपा ने कर दिया था बर्खास्त*

लेकिन, इसके कुछ दिनों बाद ही विनोद का शाहपुर थाने के कौवाबाग पुलिस चौकी के पुलिसकर्मियों से विनोद के भाईयों का विवाद हो गया।इस मामले में विनोद ने ना सिर्फ पुलिसवालों से मारपीट ही की थी बल्कि थाने पहुंचकर उनसे निपट लेने की धमकी भी दी।इस मामले में विनोद और उसके भाईयों पर केस भी दर्ज हुआ।मामला राजनैतिक रुप लेने लगा तो विनोद को बसपा से बर्खास्त कर दिया गया।इसके बाद दोबारा विनोद कभी राजनीति में एंट्री नहीं ले सका।

*अब आइए जानते हैं, माफिया विनोद उपाध्याय की क्राइम हिस्ट्री…*

*जिसने जेल में थप्पड़ मारा, उसे घर पहुंचने से पहले मार डाला*दिसंबर 2004 का वह समय था। *नेपाल के भैरहवा के शातिर अपराधी जीतनारायण मिश्र* ने गोरखपुर जेल के अंदर एक छात्रनेता को थप्पड़ मार दिया।छात्रनेता कुछ दिन बाद जमानत पर बाहर आया। उधर जीतनारायण को बस्ती जेल भेज दिया गया।7 अगस्त 2005 को जमानत मिल गई। जीतनारायण अपने बहनोई *गोरेलाल* के साथ *संतकबीरनगर* के बखीरा जाने के लिए जीप पर बैठा।जैसे ही वह उतरा कार से आए बदमाशों ने घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।70 सेकेंड के अंदर जीतनारायण और गोरेलाल जमीन पर पड़े थे। मर चुके थे।ये फायरिंग करने वाला वही माफिया विनोद था, जिसे 8 महीने पहले जीतनारायण मिश्र ने एक थप्पड़ मार दिया था।विनोद के अपराधों की लिस्ट और राजनीतिक पहुंच लंबी है। गैंगस्टर से पहले वह छात्रनेता था।जननेता बनना चाहता था लेकिन बन गया गोरखपुर का सबसे बड़ा माफिया।

*PWD कांड से चर्चित हुआ माफिया*

2007 तक विनोद पर 9 मुकदमें हो चुके थे। कई बार जेल जा चुका था।2007 में सिविल लाइंस इलाके में विनोद उपाध्याय गैंग पर लाल बहादुर गैंग ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी।विनोद गैंग के लोगों को पिस्टल निकालने तक का वक्त न मिला।गोलियां गाड़ियों के चीरती हुई शरीर में घुसने लगी।गोलियों की तड़तड़ाहट थमती उसके पहले ही विनोद गैंग के *रिपुंजय राय* और देवरिया के *सत्येंद्र* की सांस थम गई थी।इस मामले में केस लिखा गया *अजीत शाही, संजय यादव, संजीव सिंह, इंद्रकेश पांडेय* समेत 6 लोगों के खिलाफ।*लाल बहादुर* को आरोपी नहीं बनाया गया। इसके बाद से दोनों गुटों में दुश्मनी और बढ़ गई थी।

*लालबहादुर ने धनंजय से मांगी थी रंगदारी*

विनोद उपाध्याय का करीब धनंजय तिवारी लालबहादुर से खार खाए हुए था।पता चला कि तारामंडल स्थित निर्माणाधीन चिड़ियाघर में मिट्टी भरने का ठेका *धनंजय तिवारी* ने लिया था।इसको लेकर लालबहादुर से उसकी कहासुनी भी हुई थी।बताते हैं कि लालबहादुर ने एक बार अकेला पाकर धनंजय को पीट दिया था।वह रिंकू से रंगदारी मांग रहा था, जिसके चलते उसने लालबाहदुर की हत्या की योजना बनाई।

*विनोद ने करा दिया लाल बहादुर यादव का मर्डर*

साल 2014 में पूर्व उप ज्येष्ठ ब्लाक प्रमुख लाल बहादुर यादव की हत्या हो गई।मर्डर की प्लानिंग गैंगस्टर विनोद उपाध्याय गैंग ने किया था।विनोद उपाध्याय गैंग अपने दुश्मन *सुजीत चौरसिया* को मारने के लिए हमले करने की तैयारी में लगा था।लेकिन, इसके कुछ दिनों बाद पुलिस ने इस मामले में विनोद समेत उसके 6 साथियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा था।कुल 11 लोगों ने मिलकर लालबाहदुर यादव की हत्या की थी।

*हिंदू युवा वाहिनी के नेता को दौड़ाकर पीटा*

रेलवे के ठेकों के अलावा विनोद FCI का भी ठेका लेता था।एकबार ठेके को लेकर ही *हिन्दू युवा वाहिनी के सुनील सिंह* से विवाद हो गया।विनोद और उनके लोग दिन में दो बजे सुनील सिंह को उठा ले आए।उन्हें गोरखपुर शहर के अंदर *विजय चौराहे से गणेश होटल तक पीटते हुए* ले गए।सुनील छोड़ देने की विनती कर रहे थे, लेकिन पीटने वालों को तरस नहीं आया।बाद में मामला दर्ज हुआ पर कार्रवाई नहीं हुई।

*गोरखपुर के पार्षद की लखनऊ में कराई थी हत्या*

वहीं, 7 मार्च 2007 को गोरखपुर के तिवारीपुर से सपा पार्षद *अफजल फैजी* की लखनऊ के हजरतगंज श्रीराम टावर्स के पास हत्या कर दी गई थी।पार्षद फैजी की हत्या में भी विनोद उपाध्याय, प्रभाकर दुबे और विश्वजीत सिंह उर्फ पपलू का नाम आया।पपलू गोरखपुर के माधोपुर से सपा पार्षद भी था।इस मामले में एक तरफ पुलिस जांच कर रही थी और दूसरी तरफ विनोद अपराध करते जा रहा था।इस दौरान विनोद की नजर विवादित जमीनों पर टिक गई। कई जमीनें अपने और अपने लोगों के नाम करवा ली।दूसरे गैंग में क्या चल रहा इसे पता करने के लिए हर गैंग में विनोद ने चालाकी के साथ अपने लोगों की एंट्री करवा दी।

*माफिया विनोद पर दर्ज थे 39 मुकदमे*

पुलिस रिकार्ड के मुताबिक विनोद उपाध्याय पर गोरखनाथ, शाहपुर, कैंट, कोतवाली, संतकबीरनगर के बखिरा आदि थानों में 39 मुकदमे दर्ज थे।हालांकि इनमें कुछ मुकदमों में वह बरी हो चुका था।*1998 में विनोद पर पहला मुकदमा* हत्या के प्रयास का दर्ज हुआ था।इसके बाद से उस पर हत्या, हत्या का प्रयास, बलवा, साजिश, मारपीट, हमला, गैंगेस्टर एक्ट, आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज हुए थे।

*छोटा भाई भी दबंग*

विनोद के *पांच भाईयों में तीन दबंग* हैं।विनोद के सबसे छोटे भाई संजय उपाध्याय ने एकबार असुरन चौकी पर एक पुलिसवाले को थप्पड़ मार दिया।इस थप्पड़ के बाद पुलिस की नजर में चढ़ गए।राजनीतिक पार्टियों ने भी इसके बाद किनारा करना शुरू कर दिया।विनोद उपाध्याय के एनकाउंटर से पहले गोरखपुर पुलिस उसकी करीब 4 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर चुकी है।विनोद के गैंग के लाल बाबू यादव की दो कार सहित 13 लाख की संपत्ति,सूरज पासवान का एक ट्रैक्टर, पक्का मकान,अर्जुन पासवान की चार, चार पहिया गाड़ी, जमीन के साथ 96 लाख रुपए की संपत्ति जब्त कर ली है।

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