राहुल पाठक:
चित्रकूट में कामदगिरि वह पवित्र पर्वत है जिस पर वनवास काल में भगवान राम ने निवास किया था। पालीथिन और गंदगी से उसकी पवित्रता धूमिल हो रही थी। तब कर्वी बस स्टैंड के निकट रहने वाले युवा राकेश केसरवानी ने साथियों के साथ कामदगिरि को प्रदूषण मुक्त करने का बीड़ा उठाया। वह ढाई वर्ष से अपने साथियों संग प्रत्येक रविवार यहां स्वच्छता अभियान चलाते हैं। कामदगिरि स्वच्छता समिति की टीम दो-तीन घंटे श्रमदान करती है। और कामदगिरि परिक्रमा क्षेत्र पर बिखरी पालीथिन व कचरा एकत्र कर निस्तारण करती है। टीम में अब करीब तीन दर्जन सदस्य हैं। जिनके प्रयास से कामदगिरि गंदगी हो गया है।
लोग छोड़ जाते कचरा: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित पावन नगरी चित्रकूट में देश के कोने-कोने से आने वाले लोग स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते। गंदगी फैलाने में स्थानीय लोग भी पीछे नहीं हैं। प्रशासन के सामने तपोभूमि विशेषकर कामदगिरि को स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त करने की चुनौती थी। वाहन धुलाई सेंटर चलाने वाले राकेश बताते हैं कि कोरोना काल में लाकडाउन में साथी और चित्रकूट इंटर कालेज के शिक्षक शंकर यादव के साथ वानर सेवा अभियान के अंतर्गत भोजन वितरण का काम किया था। इस सिलसिले प्रतिदिन परिक्रमा पथ में देखते थे कि कामदगिरि पालीथिन और कूड़ा करकट से पटा था। मन में टीस हुई और दोनों मित्र वानर सेवा अभियान के साथ स्वच्छता के लिए श्रमदान भी करने लगे।
मिलने लगा साथः हालात बदले, लाकडाउन खत्म हुआ, फिर भी स्वच्छता का क्रम जारी रहा। धीरे-धीरे लोग जुड़ने लगे। जनवरी 2022 में राकेश ने साथियों के सुझाव पर कामदगिरि स्वच्छता समिति गठित की और तब से सुबह प्रत्येक सदस्य की रविवार की की शुरुआत कामदगिरि की साफ सफाई से होती है। इस नेक काम में नगरपालिका भी जुड़ी और राकेश को ब्रांड एंबेस्डर बनाकर इस स्वच्छता अभियान को गति शक्ति दी।