लखनऊ– देश में 2024 लोकसभा का चुनाव होने जा रहा है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बना रहे है। इसके साथ ही अपने समीकरणों के लिहाज से गठबंधन का दौर भी जारी है। बड़े राजनीतिक दल अपनी जरुरतों के लिहाज से छोटें दलों के साथ में गठबंधन कर रहे है। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से यूपी सबसे अहम है। क्योकि यहां देश की सबसे अधिक 80 लोकसभा की सीटें है। इसीलिए माना जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है। इसीलिए 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़े दल छोटे दलों को तवज्जो दे रहे हैं। यूपी की बात की जाये तो सुभासपा, निषाद पार्टी, अपना दल (एस), अपना दल (कमेरावादी), राष्ट्रीय लोक दल, जनवादी पार्टी, प्रगतिशील मानव समाज पार्टी और महान दल चुनाव में अपनी भूमिका दिखाते हैं। यही वजह है कि बड़े दल इनको अपने साथ रखना चाहते हैं।
मौजूदा समय की बात करें तो एनडीए में यूपी से निषाद पार्टी, सुभासपा और अपना दल (एस) साथ हैं, कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ और छोटे दल शामिल हो सकते हैं। वही समाजवादी पार्टी के साथ सहयोगी दल अपना दल (कमेरावादी), राष्ट्रीय लोकदल मुख्य भूमिका में हैं। यूपी के अलग-अलग हिस्सों में इन दलों का प्रभाव है और यही वजह है कि इनको नजरअंदाज नहीं किया जा रहा है। अगर जातीय समीकरण की बात की जाये तो अपना दल कुर्मी वोट बैंक के लिए माना जाता है।
यूपी का जातीय समीकरणः-
1- कूर्मी मतदाताः-
यूपी में करीब 8 परसेंट कुर्मी वोट बैंक हैं और ये उनके साथ हैं, ऐसे में आने वाला लोकसभा चुनाव यह भी तय करेगा कि सोनेलाल का वोट बैंक किसके साथ खड़ा है। कुर्मी समाज 6 फीसदी है, जो ओबीसी में 35 फीसदी के करीब है। सूबे की करीब 48 विधानसभा सीटें और 8 से 10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर कुर्मी समुदाय निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यूपी में कुर्मी समाज का प्रभाव 25 जिलों में हैं, लेकिन 16 जिलों में 12 फीसदी से अधिक सियासी ताकत रखते हैं। पूर्वांचल से लेकर बुदंलेखंड और अवध और रुहेलखंड में किसी भी दल का सियासी खेल बनाने और बिगाड़ने की स्थिति में है।
2ः- निषादः-
अगर निषाद पार्टी की बात करें तो यूपी में निषाद समुदाय की 18 फीसदी आबादी का पूर्वांचल के 16 जिलों में खासा प्रभाव माना जाता है और जीत-हार में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। पिछले चुनावों की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ता को आसान बनाने में इनकी भूमिका रही है।
3ः- राजभरः-
सुभासपा के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर राजनीति में राजभर समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं में गिने जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में राजभर समाज की कुल आबादी लगभग 4 प्रतिशत है। कुछ जगह राजभर समाज 20 फीसदी के आसपास है तो कुछ क्षेत्रों में उनकी आबादी 10 प्रतिशत के करीब है। जातीय समीकरण को समझा जाए तो तकरीबन 18 ऐसे जिले हैं, जहां में राजभर वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मऊ, बलिया, आजमगढ़, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, बहराइच और श्रावस्ती जिलों में राजभर समाज का प्रभाव है।
अपना दल Apna Dal के संस्थापक सोनेलाल पटेल Sonelal patel की विरासत में दो दावेदार बने, एक अनुप्रिया पटेल Anupriya patel हैं जो एनडीए NDA का हिस्सा होकर केंद्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं वहीँ कृष्णा पटेल Krishna patel और बेटी पल्लवी पटेल Pallavi patel सपा मुखिया अखिलेश यादव Akhilesh Yadav के साथ खड़ी हैं। वही अब समाजवादी पार्टी Samajwadi party की सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल Rastriy Lokdal का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई लोकसभा क्षेत्रों में अच्छा प्रभाव है जो वोट के अंडको को बना बिगाड़ सकने में सक्षम है। इसी तरह जनवादी पार्टी Janwadi Party , प्रगतिशील मानव समाज पार्टी और महान दल Mahan Dal का भी अपने अपने क्षेत्र में प्रभाव है।
यूपी UP में 24 के चुनाव में बीजेपी BJP का सभी 80 सीट पर जीत का दावाः-
भाजपा में 2024 के लोकसभा क्षेत्र में 80 सीटें जितने का दावा किया है यह तभी संभव है जब भाजपा और सहयोगी दलों की 50 फीसदी वोट मिले, इस मुहीम को रोकने के लिए यूपी में समजवादी पार्टी ने छोटे दलों से गठबंधन का रास्ता खोला है, तो बहुजन समाज पार्टी BSP ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने एक साथ चुनाव लड़ा था और अंदेशा था कि यूपी में ज्यादा सीटों पर यह गठबंधन भरी पड़ेगा लेकिन नतीजे भाजपा के पक्ष में आये। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को 19 फीसदी वोट के साथ 10 सीटों पर जीत मिली और सपा को 18 फीसदी वोट तो मिले लेकिन 5 सीटों पर जीत हासिल हुई। देश में 543 लोकसभा सीटों में से 80 सीटें यूपी की हैं, जो कुल सीटों का 16 फीसदी होता है। इतना ही नहीं देश में सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री यूपी से ही बने हैं. पीएम मोदी के दो बार केंद्र की सत्ता में काबिज होने के पीछे यूपी की अहम भूमिका रही है। यही वजह है कि बीजेपी सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए यूपी की सियासी राह को मजबूत बनाने और सियासी समीकरण को साधने के लिए सहयोगी दलों ने भूमिका निभाई है।
लोकसभा चुनाव 2019 में किस पार्टी को मिली कितनी सीट
बीजेपी- 62 सीटें – 49.98 फीसदी
अपना दल (एस)- 2 – 1.21 फीसदी
बीएसपी- 10 – 19.43 प्रतिशत
सपा- 5 – 18.11 प्रतिशत
कांग्रेस- 1 – 6.36 वोट प्रतिशत
राष्ट्रिय लोकदल – 1.69 प्रतिशत